कवि परिचय: सूरदास
सूरदास हिंदी साहित्य के भक्ति काल की सगुण कृष्ण-भक्ति काव्यधारा के महान कवि हैं।
जन्म: इनका जन्म संवत् 1535 (सन् 1478 ई.) के लगभग रुनकता या सीही नामक ग्राम में माना जाता है।
गुरु: ये महाप्रभु वल्लभाचार्य के शिष्य थे और अष्टछाप के प्रमुख कवि हैं।
अंधत्व: इन्हें जन्मांध माना जाता है।
प्रमुख रचना: इनकी प्रमुख रचना सूरसागर है, जो इनकी कीर्ति का मुख्य आधार है। (अन्य रचनाएँ सूरसारावली, साहित्य लहरी हैं।)
काव्यगत विशेषताएँ:
सूरदास को वात्सल्य रस का सम्राट कहा जाता है। उन्होंने भगवान कृष्ण की बाल-लीलाओं का अद्भुत चित्रण किया है।
उन्होंने गोपी-कृष्ण प्रेम (श्रृंगार) और भ्रमरगीत के माध्यम से वियोग श्रृंगार का भी मार्मिक वर्णन किया है।
इनके काव्य की भाषा शुद्ध साहित्यिक ब्रजभाषा है, जो अत्यंत मधुर और गेय है।
साहित्य में स्थान: सूरदास को हिंदी साहित्य में कृष्ण-भक्ति काव्य का 'सूर्य' कहा जाता है, जिन्होंने अपनी रचनाओं से जनमानस को कृष्ण-भक्ति से ओतप्रोत किया।
प्रश्न के लिए ध्यान रखने योग्य बातें:
मुख्य बिंदु: जन्म, गुरु, एक-दो प्रमुख रचनाएँ, और एक-दो सबसे महत्वपूर्ण काव्यगत विशेषताएँ (जैसे वात्सल्य रस, ब्रजभाषा)।
संक्षिप्तता: अनावश्यक विस्तार से बचें। सीधे-सीधे तथ्य और उनकी पहचान लिखें।
भाषा की शुद्धता: वर्तनी और व्याकरण की गलतियाँ न करें।
प्रस्तुति: साफ-सुथरी लिखावट और महत्वपूर्ण बिंदुओं को रेखांकित करना (जैसे सूरसागर, वात्सल्य रस का सम्राट, ब्रजभाषा) प्रभावी होता है।