इतिहास लेखन की पद्धतियाँ

(1) वर्णानुक्रम पद्धति - गार्सा द तासी, शिव सिंह सेंगर

(2) कालानुक्रम पद्धति - ग्रियर्सन, मिश्रबन्धु
(3) वैज्ञानिक पद्धति - गणपति चंद्र गुप्त
(4) विधेयवादी पद्धति - रामचंद्र शुक्ल, तेन
(5) आलोचनात्मक पद्धति - डॉ. रामकुमार वर्मा 
(6) समाज शास्त्रीय पद्धति - 
1. वर्णानुक्रम पद्धति :- वर्ण + अनुक्रम
वर्णमाला के वर्णों के अनुक्रम से रचनाकारों का परिचय देना, वर्णानुक्रम पद्धति है। यह पद्धति शब्दकोश की तरह है।
* सबसे प्राचीन पद्धति
* अमनोवैज्ञानिक पद्धति
- गार्सा द तासी ने अपने इतिहास ग्रन्थ 'इस्त्वार द ला लितरेत्युर ऐंदुई ए ऐंदुस्तानी' में तथा शिव सिंह सेंगर ने 'शिवसिंह सरोज' में इसी पद्धति का प्रयोग किया ह 
2. कालानुक्रम पद्धति :- काल + अनुक्रम 
* जन्म तिथि के आधार पर रचनाकारों का परिचय देना
* ग्रियर्सन ने अपने इतिहास ग्रन्थ 'द मॉर्डन वर्नाक्युलर लिट्रेचर ऑफ हिंदुस्तान' में इसी पद्धति का प्रयोग किया है। 
3. वैज्ञानिक पद्धति :- 
- प्रवृत्तियों का विश्लेषण
- भाषा के विकास क्रम को ध्यान में रखना 
- रचनाकारों पर युगीन परिस्थितियों का प्रभाव
- सबसे पहले पद्धति का प्रयोग :-  डॉ. गणपति चंद्र गुप्त 'हिंदी साहित्य का वैज्ञानिक इतिहास' में
4. विधेयवादी पद्धति :- जनक - तेन ( जाति, वातावरण, क्षण)
- हिंदी में प्रथम प्रयोक्ता - आचार्य रामचंद्र शुक्ल
* रचनाकारों का परिचय - कालानुक्रम पद्धति में
- प्रवृत्तियों का विश्लेषण, तुलनात्मक दृष्टिकोण
5. आलोचनात्मक पद्धति :- रचनाकारों व रचनाओं के परिचय से ज्यादा रचनाओं के मूल्यांकन पर बल देना 
* रचनाकारों के परिचय के साथ साथ शास्त्रीय मान्यताओं के आधार पर रचनाओं की समीक्षा 
6. समाज शास्त्रीय पद्धति  :- रचनाकारों के परिचय के साथ साथ इस बात पर बल देना की उसने समाज से क्या कुछ ग्रहण किया तथा रचनाकार का समाज पर प्रभाव

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