कविता के बहाने
प्रतिपादय-‘कविता के बहाने’ कविता कवि के कविता-संग्रह ‘इन दिनों’ से ली गई है। आज के समय में कविता के अस्तित्व के बारे में संशय हो रहा है। यह आशंका जताई जा रही है कि यांत्रिकता के दबाव से कविता का अस्तित्व नहीं रहेगा। ऐसे में यह कविता-कविता की अपार संभावनाओं को टटोलने का एक अवसर देती है।
सार-यह कविता एक यात्रा है जो चिड़िया, फूल से लेकर बच्चे तक की है। एक ओर प्रकृति है दूसरी ओर भविष्य की ओर कदम बढ़ाता बच्चा। कवि कहता है कि चिड़िया की उड़ान की सीमा है, फूल के खिलने के साथ उसकी परिणति निश्चित है, लेकिन बच्चे के सपने असीम हैं। बच्चों के खेल में किसी प्रकार की सीमा का कोई स्थान नहीं होता। कविता भी शब्दों का खेल है और शब्दों के इस खेल में जड़, चेतन, अतीत, वर्तमान और भविष्य-सभी उपकरण मात्र हैं। इसीलिए जहाँ कहीं रचनात्मक ऊर्जा होगी, वहाँ सीमाओं के बंधन खुद-ब-खुद टूट जाते हैं। वह सीमा चाहे घर की हो, भाषा की हो या समय की ही क्यों न हो।
व्याख्या एवं अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न
कविता के बहाने
निम्नलिखित काव्यांशों को ध्यानपूर्वक पढ़कर व्याख्या कीजिए और नीचे दिए प्रश्नों के उत्तर दीजिए
कविता एक उड़ान हैं चिड़िया के बहाने
कविता की उडान भला चिडिया क्या जाने?
बाहर भीतर
इस धर, उस घर
कविता के पंख लया उड़ने के माने
चिडिया क्या जाने?
शब्दार्थ- माने-अर्थ।
व्याख्या-कवि कहता है कि कविता कल्पना की उड़ान है। इसे सिद्ध करने के लिए वह चिड़िया का उदाहरण देता है। साथ ही चिड़िया की उड़ान के बारे में यह भी कहता है कि चिड़िया की उड़ान सीमित होती है किंतु कविता की कल्पना का दायरा असीमित होता है। चिड़िया घर के अंदर-बाहर या एक घर से दूसरे घर तक ही उड़ती है, परंतु कविता की उड़ान व्यापक होती है। कवि के भावों की कोई सीमा नहीं है। कविता घर-घर की कहानी कहती है। वह पंख लगाकर हर जगह उड़ सकती है। उसकी उड़ान चिड़िया की उड़ान से कहीं आगे है।
विशेष–
1. कविता की अपार संभावनाओं को बताया गया है।
2. सरल एवं सहज खड़ी बोली में सशक्त अभिव्यक्ति है।
3. ‘चिड़िया क्या जाने?” में प्रश्न अलंकार है।
4. कविता का मानवीकरण किया गया है।
5. लाक्षणिकता है।
6. ‘कविता की उड़ान भला’ में अनुप्रास अलंकार है।
प्रश्न
(क) ‘कविता एक उड़ान हैं चिड़िया के बहाने’-पक्ति का भाव बताइए।
उत्तर- इस पंक्ति का अर्थ यह है कि चिड़िया को उड़ते देखकर कवि की कल्पना भी ऊँची-ऊँची उड़ान भरने लगती है। वह रचना करते समय कल्पना की उड़ान भरता है।
(ख) कविता कहाँ-कहाँ उड़ सकती हैं?
उत्तर- कविता पंख लगाकर मानव के आंतरिक व बाहय रूप में उड़ान भरती है। वह एक घर से दूसरे घर तक उड़ सकती है।
(ग) कविता की उडान व चिडिया की उडान में क्या अंतर हैं?
उत्तर- चिड़िया की उड़ान एक सीमा तक होती है, परंतु कविता की उड़ान व्यापक होती है। चिड़िया कब्रिता की उड़ान को नहीं जान सकती।
(घ) कविता के पंख लगाकर कौन उड़ता है?
उत्तर- कविता के पंख लगाकर कवि उड़ता है। वह इसके सहारे मानव-मन व समाज की भावनाओं को अभिव्यक्ति देता है।
कविता एक खिलना हैं फूलों के बहाने
कविता का खिलना भला कूल क्या जाने
बाहर भीतर
इस घर, उस घर
बिना मुरझाए महकने के माने
फूल क्या जाने?
शब्दार्थ- महकना- सुगंध बिखेरना।
व्याख्या-कवि कहता है कि कविता की रचना फूलों के बहाने हो सकती है। फूलों को देखकर कवि का मन प्रफुल्लित रहता है। उसके मन में कविता फूल की भाँति विकसित होती है। फूल से कविता में रंग, भाव आदि आते हैं, परंतु कविता के खिलने के बारे में फूल कुछ नहीं जानते। फूल कुछ समय के लिए खिलते हैं, खुशबू फैलाते हैं, फिर मुरझा जाते हैं। उनकी परिणति निश्चित होती है। वे घर के अंदर-बाहर, एक घर से दूसरे घर में अपनी सुगंध फैलाते हैं, परंतु शीघ्र ही नष्ट हो जाते हैं। कविता बिना मुरझाए लंबे समय तक लोगों के मन में व्याप्त रहती है। इस बात को फूल नहीं समझ पाता।
विशेष-
1. कविता व फूल की तुलना मनोरम है।
2. सरल एवं सहज खड़ी बोली भावानुकूल है।
3. ‘मुरझाए महकने’ में अनुप्रास अलंकार तथा ‘फूल क्या जाने?” में प्रश्न अलंकार है।
4. शांत रस है।
5. मुक्त छंद है।
प्रश्न
(क) ‘कविता एक खिलन हैं, फूलों के बहाने’ ऐसा क्यों?
उत्तर- कविता फूलों के बहाने खिलना है क्योंकि फूलों को देखकर कवि का मन प्रसन्न हो जाता है। उसके मन में कविता फूलों की भाँति विकसित होती जाती है।
(ख) कविता रचने और फूल खिलने में क्या साम्यता हैं?
उत्तर- जिस प्रकार फूल पराग, मधु व सुगंध के साथ खिलता है, उसी प्रकार कविता भी मन के भावों को लेकर रची जाती है।
(ग) बिना मुरझाए कौन कहाँ महकता हैं?
उत्तर- बिना मुरझाए कविता हर जगह महका करती है। यह अनंतकाल तक सुगंध फैलाती है।
(घ) ‘कविता का खिलना भला कूल क्या जाने। ‘-पंक्ति का आशय स्पष्ट र्काजि।
उत्तर- इस पंक्ति का आशय यह है कि फूल के खिलने व मुरझाने की सीमा है, परंतु कविता शाश्वत है। उसका महत्व फूल से अधिक है।
कविता एक खेल हैं बच्चों के बहाने
बाहर भीतर
यह धर, वह घर
सब घर एक कर देने के माने
कच्च ही जाने।
व्याख्या-कवि कविता को बच्चों के खेल के समान मानता है। जिस प्रकार बच्चे कहीं भी किसी भी तरीके से खेलने लगते हैं, उसी प्रकार कवि के लिए कविता शब्दों की क्रीड़ा है। वह बच्चों के खेल की तरह कहीं भी, कभी भी तथा किसी भी स्थान पर प्रकट हो सकती है। वह किसी भी समय अपने भावों को व्यक्त कर सकती है। बच्चों के लिए सभी घर एक समान होते हैं। वे खेलने के समय अपने-पराये में भेद नहीं करते। इसी तरह कवि अपने शब्दों से आंतरिक व बाहरी संसार के मनोभावों को रूप प्रदान करता है। वह बच्चों की तरह बेपरवाह है। कविता पर कोई बंधन लागू नहीं होता।
विशेष-
1. कविता की रचनात्मक व्यापकता को प्रकट किया गया है।
2. बच्चों व कवियों में समानता दर्शाई गई है।
3. ‘बच्चा ही जाने’ पंक्ति से बालमन की सरलता की अभिव्यक्ति होती है।
4. मुक्त छंद है।
5. ‘बच्चों के बहाने’ में अनुप्रास अलंकार है।
6. साहित्यिक खड़ी बोली है।
प्रश्न
(क) कविता को क्या सज्ञा दी गई हैं? क्यों?
उत्तर- कविता को खेल की संज्ञा दी गई है। जिस प्रकार खेल का उद्देश्य मनोरंजन व आत्मसंतुष्टि होता है, उसी प्रकार कविता भी शब्दों के माध्यम से मनोरंजन करती है तथा रचनाकार को संतुष्टि प्रदान करती है।
(ख) कविता और बच्चों के खेल में क्या समानता हैं?
उत्तर- बच्चे कहीं भी, कभी भी खेल खेलने लगते हैं। इस तरह कविता कहीं भी प्रकट हो सकती है। दोनों कभी कोई बंधन नहीं स्वीकारते।
(ग) कविता की कौन-कौन-सी विशेषताएँ बताई गई हैं?
उत्तर- कविता की निम्नलिखित विशेषताएँ हैं
* यह सर्वव्यापक होती है।
* इसमें रचनात्मक ऊर्जा होती है।
* यह खेल के समान होती है।
(घ) बच्चा कौन-सा बहाना जानता हैं?
उत्तर- बच्चा सभी घरों को एक समान करने के बहाने जानता है।
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