कक्षा - 12 - शब्द-शक्ति

कक्षा - 12 हिंदी अनिवार्य

टॉपिक - शब्द शक्ति (Shabd Shakti)


परिचय (Introduction)

भाषा में शब्द और अर्थ का गहरा संबंध होता है। प्रत्येक शब्द का एक निश्चित अर्थ होता है, जिसे वह पाठक या श्रोता तक पहुँचाता है। शब्द जिस शक्ति या सामर्थ्य के माध्यम से अपने अर्थ को प्रकट करता है, उसे शब्द शक्ति कहते हैं।
सरल शब्दों में, "शब्द का अर्थ बोध कराने वाली शक्ति शब्द शक्ति कहलाती है।"
काव्य के अर्थ को समझने में शब्द शक्ति का ज्ञान अत्यंत महत्वपूर्ण है।

शब्द शक्ति के प्रकार (Types of Shabd Shakti)

शब्द शक्ति मुख्यतः तीन प्रकार की होती है:

  1. अभिधा शब्द शक्ति (Abhidha Shabd Shakti)

  2. लक्षणा शब्द शक्ति (Lakshana Shabd Shakti)

  3. व्यंजना शब्द शक्ति (Vyanjana Shabd Shakti)


1. अभिधा शब्द शक्ति (Abhidha Shabd Shakti)

  • परिभाषा: शब्द की जिस शक्ति से उसके मुख्य, प्रचलित, साक्षात् या वाच्य अर्थ का बोध होता है, उसे अभिधा शब्द शक्ति कहते हैं।

  • यह शब्द का सीधा और साधारण अर्थ बताती है।

  • इससे प्रकट होने वाले अर्थ को वाच्यार्थ या मुख्य अर्थ कहते हैं।

  • यह अर्थ शब्दकोश (dictionary) में भी पाया जाता है।

  • पहचान: जब शब्द का प्रयोग उसके लोक प्रसिद्ध अर्थ में किया जाए, वहाँ अभिधा शब्द शक्ति होती है। इसमें किसी प्रकार की लाग-लपेट या घुमा-फिराकर बात नहीं कही जाती।

  • उदाहरण:

    • "गाय घास चर रही है।" (यहाँ 'गाय' का अर्थ एक चौपाया पशु है और 'चरना' का अर्थ घास खाना है।)

    • "राम स्कूल जाता है।" (सीधा अर्थ)

    • "पेड़ पर फल लगे हैं।" (सीधा अर्थ)

    • "सूर्य पूरब में उगता है।" (सीधा अर्थ)

    • "पानी गरम है।" (सीधा अर्थ)


2. लक्षणा शब्द शक्ति (Lakshana Shabd Shakti)

  • परिभाषा: जब शब्द के मुख्य अर्थ में बाधा (रुकावट) उत्पन्न होती है और मुख्य अर्थ का संबंध किसी अन्य अर्थ से स्थापित होता है, जिससे किसी विशेष प्रयोजन या रूढ़ि के कारण उस अन्य अर्थ का बोध होता है, उसे लक्षणा शब्द शक्ति कहते हैं।

  • इससे प्रकट होने वाले अर्थ को लक्ष्यार्थ कहते हैं।

  • लक्षणा के लिए तीन शर्तें आवश्यक हैं:

    1. मुख्य अर्थ में बाधा: शब्द के मुख्य अर्थ का ग्रहण न हो पाना।

    2. मुख्य अर्थ से संबंध: मुख्य अर्थ और लक्ष्यार्थ में कोई-न-कोई संबंध होना।

    3. रूढ़ि या प्रयोजन: लक्ष्यार्थ का ग्रहण किसी रूढ़ि (परंपरा) के कारण हो या किसी विशेष प्रयोजन (उद्देश्य) की सिद्धि के लिए किया गया हो।

  • उदाहरण:

    • "मोहन गधा है।"

      • मुख्य अर्थ: मोहन एक चौपाया पशु 'गधा' है। (बाधा: मोहन इंसान है, पशु नहीं।)

      • संबंध: गधा मूर्खता के लिए प्रसिद्ध है।

      • प्रयोजन: मोहन की मूर्खता व्यक्त करना।

      • लक्ष्यार्थ: मोहन मूर्ख है।

    • "राजस्थान जाग उठा।"

      • मुख्य अर्थ: राजस्थान (एक राज्य) स्वयं नहीं जाग सकता।

      • संबंध: राजस्थान के लोग।

      • प्रयोजन: राजस्थान के लोगों में जागरूकता आना।

      • लक्ष्यार्थ: राजस्थान के लोग जागरूक हो गए।

  • लक्षणा शब्द शक्ति के प्रकार: लक्षणा मुख्यतः दो प्रकार की होती है:

    • क) रूढ़ा लक्षणा (Ruddha Lakshana):

      • परिभाषा: जहाँ शब्द का प्रयोग लोक व्यवहार या परम्परा (रूढ़ि) के कारण लक्ष्यार्थ में होता है, वहाँ रूढ़ा लक्षणा होती है। यहाँ लक्ष्यार्थ का ग्रहण किसी विशेष प्रयोजन के लिए नहीं, बल्कि रूढ़ि के कारण होता है।

      • उदाहरण:

        • "सभी नौ दो ग्यारह हो गए।" (यहाँ 'नौ दो ग्यारह होना' का अर्थ है 'भाग जाना', यह एक मुहावरा है और रूढ़ हो चुका है।)

        • "पुलिस को देखते ही चोर चंपत हो गए।" ('चंपत होना' का अर्थ है 'गायब हो जाना' या 'भाग जाना', यह भी रूढ़ अर्थ है।)

        • "उसका खून खौल उठा।" ('खून खौलना' का अर्थ है 'अत्यधिक क्रोधित होना'।)

        • "भारत पर अंग्रेजों का शासन था।" (यहाँ 'शासन' शब्द से 'अधिकार' का लक्ष्यार्थ रूढ़िगत है।)

    • ख) प्रयोजनवती लक्षणा (Prayojanvati Lakshana):

      • परिभाषा: जहाँ किसी विशेष प्रयोजन (उद्देश्य) या लक्ष्य की सिद्धि के लिए शब्द का प्रयोग लक्ष्यार्थ में किया जाता है, वहाँ प्रयोजनवती लक्षणा होती है। इसमें वक्ता का कोई विशेष अभिप्राय छिपा होता है।

      • उदाहरण:

        • "गंगा पर गाँव है।"

          • मुख्य अर्थ: गंगा नदी पर गाँव होना असंभव है।

          • प्रयोजन: गंगा के समीप, उसके तट पर स्थित गाँव की पवित्रता और शीतलता का बोध कराना।

          • लक्ष्यार्थ: गंगा के तट पर गाँव है, जो पवित्र और शीतल है।

        • "यह लड़का तो पूरा शेर है।"

          • मुख्य अर्थ: लड़का जानवर शेर नहीं हो सकता।

          • प्रयोजन: लड़के की बहादुरी या निर्भीकता बताना।

          • लक्ष्यार्थ: लड़का बहुत बहादुर है।

        • "सारा घर मेला देखने गया।"

          • मुख्य अर्थ: घर स्वयं नहीं जा सकता।

          • प्रयोजन: घर के सभी सदस्य (लोग) मेला देखने गए।

          • लक्ष्यार्थ: घर के सभी सदस्य मेला देखने गए।

        • "उसने मुझे देखकर मुँह फेर लिया।" (अर्थात अनदेखा कर दिया/बात नहीं करना चाहता।)


3. व्यंजना शब्द शक्ति (Vyanjana Shabd Shakti)

  • परिभाषा: जहाँ अभिधा (मुख्य अर्थ) और लक्षणा (लक्ष्यार्थ) से भिन्न किसी अन्य विशेष अर्थ (जिसे वक्ता या श्रोता के प्रसंग के अनुसार ग्रहण किया जाता है) का बोध होता है, उसे व्यंजना शब्द शक्ति कहते हैं।

  • यह अर्थ न तो वाच्य होता है और न ही लक्ष्य, बल्कि यह दोनों से भिन्न एक तीसरा अर्थ होता है।

  • इससे प्रकट होने वाले अर्थ को व्यंग्यार्थ या ध्वन्यार्थ कहते हैं।

  • पहचान: व्यंग्यार्थ वक्ता, श्रोता, समय, स्थान, परिस्थिति आदि के अनुसार बदलता रहता है। यह अर्थ हमेशा प्रसंग पर निर्भर करता है।

  • उदाहरण:

    • "सूर्य अस्त हो गया।"

      • इस वाक्य का व्यंग्यार्थ अलग-अलग व्यक्तियों के लिए अलग-अलग हो सकता है:

        • चरवाहे के लिए: अब गायें-भैंसें घर ले जाने का समय हो गया।

        • पुजारी के लिए: मंदिर में आरती का समय हो गया।

        • विद्यार्थी के लिए: पढ़ने का समय हो गया या खेल बंद करने का समय हो गया।

        • चोर के लिए: चोरी करने का समय हो गया।

    • "सुबह के 8 बज गए हैं।"

      • किसी कार्यालय जाने वाले के लिए: दफ्तर जाने का समय हो गया।

      • विद्यार्थी के लिए: स्कूल जाने का समय हो गया।

      • गृहिणी के लिए: नाश्ता बनाने का समय हो गया।

    • "पानी बरस रहा है।"

      • किसान के लिए: फसल के लिए अच्छा है।

      • यात्री के लिए: यात्रा में बाधा आ गई।

      • बच्चे के लिए: खेलने का मौका मिल गया।

  • व्यंजना शब्द शक्ति के प्रकार: व्यंजना मुख्यतः दो प्रकार की होती है:

    • क) शाब्दी व्यंजना (Shabdi Vyanjana):

      • परिभाषा: जहाँ व्यंग्यार्थ किसी विशेष शब्द पर निर्भर हो। यदि उस शब्द को बदलकर उसका पर्यायवाची रख दिया जाए, तो व्यंग्यार्थ समाप्त हो जाता है। यह अक्सर श्लेष अलंकार वाले पदों में पाई जाती है, जहाँ एक शब्द के कई अर्थ होते हैं।

      • पहचान: शब्द बदलने पर व्यंग्यार्थ का लोप हो जाता है।

      • उदाहरण:

        • "चिरजीवो जोरी जुरै क्यों न सनेह गंभीर।
          को घटि ये वृषभानुजा वे हलधर के वीर।।"

          • यहाँ 'वृषभानुजा' शब्द के दो अर्थ हैं: (1) वृषभानु की पुत्री (राधा), (2) बैल की बहन (गाय)।

          • 'हलधर' शब्द के भी दो अर्थ हैं: (1) बलराम (कृष्ण के भाई), (2) बैल।

          • इन शब्दों को बदलने पर श्लेष और व्यंग्यार्थ (राधा-कृष्ण या गाय-बैल की जोड़ी का अर्थ) समाप्त हो जाएगा।

        • "पानी गए न ऊबरे, मोती, मानुष, चून।"

          • यहाँ 'पानी' शब्द के तीन अर्थ हैं: (1) चमक (मोती के संदर्भ में), (2) आत्म-सम्मान (मनुष्य के संदर्भ में), (3) जल (चूना के संदर्भ में)।

          • 'पानी' शब्द हटाने या बदलने पर यह व्यंग्यार्थ समाप्त हो जाएगा।

    • ख) आर्थी व्यंजना (Arthi Vyanjana):

      • परिभाषा: जहाँ व्यंग्यार्थ किसी विशेष शब्द पर नहीं, बल्कि अर्थ पर निर्भर हो। यहाँ व्यंग्यार्थ वक्ता, श्रोता, काल (समय), देश (स्थान), काकु (स्वर का उतार-चढ़ाव), चेष्टा आदि पर आधारित होता है। शब्द बदलने पर भी व्यंग्यार्थ बना रहता है।

      • पहचान: यह परिस्थितियों, प्रसंगों और भावों पर आधारित होती है।

      • उदाहरण:

        • "सूर्य अस्त हो गया।" (उपर्युक्त उदाहरण) - इस वाक्य में आप 'सूर्य' को 'सूरज' या 'रवि' से बदल दें, या 'अस्त हो गया' को 'छिप गया' से बदल दें, तब भी व्यंग्यार्थ (घर जाने का समय, पूजा का समय आदि) यथावत रहेगा।

        • "सुबह हो गई है।" (व्यंग्यार्थ: उठ जाओ, काम पर लग जाओ आदि।)

        • "अरे! आप आ गए।" (यह वाक्य वक्ता के स्वर और परिस्थिति के अनुसार खुशी, आश्चर्य, निराशा, व्यंग्य आदि अनेक अर्थ दे सकता है।)

        • "ठंडी हवा चल रही है।" (यदि कोई रोगी कह रहा है तो वह परेशानी व्यक्त कर रहा है, यदि कोई थका हुआ व्यक्ति कह रहा है तो वह सुख का अनुभव कर रहा है।)


परीक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण बिन्दु (Important Points for Exam)

  • परिभाषाएँ: तीनों शब्द शक्तियों (अभिधा, लक्षणा, व्यंजना) की परिभाषाएँ उदाहरण सहित याद करें।

  • भेद/उपभेद: लक्षणा (रूढ़ा, प्रयोजनवती) और व्यंजना (शाब्दी, आर्थी) के भेदों की परिभाषा और उदाहरणों पर विशेष ध्यान दें।

  • अंतर स्पष्ट करें:

    • अभिधा, लक्षणा और व्यंजना में क्या अंतर है?

    • रूढ़ा लक्षणा और प्रयोजनवती लक्षणा में क्या अंतर है?

    • शाब्दी व्यंजना और आर्थी व्यंजना में क्या अंतर है?

  • उदाहरण पहचानना: परीक्षा में कोई पंक्ति या उदाहरण देकर पूछा जा सकता है कि इसमें कौन सी शब्द शक्ति है। इसके लिए आपको प्रत्येक शब्द शक्ति के लक्षणों और उदाहरणों को गहराई से समझना होगा।

  • प्रसंग का महत्व: व्यंजना शब्द शक्ति में प्रसंग (context) का बहुत महत्व होता है, इसे समझने का प्रयास करें।


इन नोट्स से आपको शब्द शक्ति के विषय को विस्तार से समझने में मदद मिलेगी और आप परीक्षा में बेहतर प्रदर्शन कर पाएंगे।

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