तथागत बुद्ध ने कहा है
तुम सिंह के सामने जाते समय भयभीत न होना, वह पराक्रम की परीक्षा है,
तुम तलवार के नीचे सर झुकाने से भयभीत न होना यह बलिदान की कसौटी है,
तुम पर्वत शिखर से पाताल में कूद पड़ना यह तप की साधना है,
तुम बढ़ती हुई ज्वालाओं से विचलित न होना व स्वर्ण परीक्षा है
पर शराब से सदा भयभीत रहना क्योंकि यह पाप और अनाचार की जननी है।
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